राणा कुंभा की जीवनी Biography of Rana Kumbha in Hindi

 राणा कुंभा की जीवनी Biography of Rana Kumbha in Hindi

राणा कुंभा की जीवनी Biography of Rana Kumbha in Hindi 
पिता  – राणा मोकल

माता – सौभाग्य देवी

जन्म – 1423 ई.      मृत्यु – 1468 ई.

राणा कुंभा की उपाधियाँ –

1 – अभिनव भारताचार्य – श्रेष्ठ वीणा वादक एवं संगीत के क्षेत्र में विपुल ज्ञान के कारण।

2 – महाराजाधिराज – राजाओं का राजा होने के कारण

3 – राणोरासो – विद्वानों का आश्रय दाता होने के कारण।

4 – हिंदू सुरताण – समकालीन मुस्लिम शासकों द्वारा (दिल्ली व गुजरात के मुसलमानों द्वारा दी गई उपाधि) 

5 – हाल गुरु – गिरी पहाड़ दुर्गा का स्वामी।

6 – दान गुरु – निर्धनों का दान दाता होने के कारण ।

7 – नरपति – सामान्य मनुष्य श्रेष्ठ होने के कारण।

8 – चाप गुरु – धनुर्विद्या का ज्ञाता होने के कारण।

9 – छापगुरु – छापामार युद्ध पद्धति में निपुण होने के कारण।


राणा कुंभा की जीवनी Biography of Rana Kumbha in Hindi  –

महाराणा कुंभा का जन्म 1423 ईस्वी में राणा मोकल की पत्नी सौभाग्य देवी की कोख से हुआ था. महाराणा कुंभा जब शासक बना था तब उसके सामने दो समस्या थी. 
पहली समस्या चाचा व मेरा की मौत चाचा व मेरा ने राणा कुंभा के पिता मोकल की हत्या कर दी थी. दूसरी समस्या रणमल का बढ़ते प्रभाव को रोकना राणा कुंभा रणमल सहायता से चाचा वे मेरा को मरवा दिया था। 
तथा दूसरी समस्या अब यह थी कि रणमल को कैसा मारा जाए. रणमल कुंभा की दासी भारमली से बहुत प्यार करता था. फिर कुंभा ने अपनी दासी भारमली द्वारा शराब में जहर मिलाकर रणमल की हत्या करवा दी थी।

रणमल राठौड़ के पुत्र राव जोधा को अपने पिता की हत्या के बारे में पता चला तो वे मेवाड़ से फरार होकर मंडोर (जोधपुर) चला गया। लेकिन कुंभा ने इसका पीछा किया अंत कुंभा की दादी एवं जोधा की बुआ हंसाबाई की मध्यस्थता से दोनों के मध्य आवल बावल की संधि हुई. जिसके तहत मेवाड़ मारवाड़ की सीमाओं का निर्धारण हुआ।




मेवाड़ व मालवा संबंध – 

कुंभा के समय मालवा का शासक महमूद खिलजी प्रथम था. जिसने मेहता पवार अक्का को शरण दी थी. कुंभा को सौंपने के लिए मना करने के कारण कुंभा व महमूद खिलजी प्रथम के बीच सारंगपुर का युद्ध 1437 ईस्वी में हुआ था. इसमें कुंभा की विजय हुई थी. 
इस विजय के उपलक्ष में कुंभा ने चित्तौड़गढ़ दुर्ग में विजय स्तंभ का निर्माण करवाया था. इसका निर्माण 1440 से 1448 ईसवी के मध्य हुआ था यह 9 मंजिला है. 

कुंभा के काल में सांस्कृतिक विकास – 

कुंभा के शासन काल को स्थापत्य कला का स्वर्ण युग कहा जाता है. राजस्थान के कुल 84 दुर्गों में से 32 दुर्गों का निर्माण महाराणा कुंभा ने करवाया था. इसकी सूचना कवि वीर विनोद पुस्तक के रचयिता श्यामल दास ने कहा था. 
राजस्थान की स्थापत्य कला का जनक कुंभा को कहा जाता है. 

राणा कुंभा द्वारा बनवाए गए प्रमुख दुर्ग – 

– कुंभलगढ़ का किला राजसमंद 

कुंभलगढ़ का किला की पूरी जानकारी यहा क्लिक करें 

– बसंती /बसंतपुर (सिरोही) 

– अचल गढ़ आबू दुर्ग (सिरोही) 

– बैराठ(भीलवाड़ा) दुर्ग – मेरो के बढ़ते प्रभाव को रोकने हेतु

– भोमट बाड़मेर का दुर्ग – भीलो की शक्तियों पर नियंत्रण रखने हेतु

 कुंभा द्वारा रचित प्रमुख ग्रंथ – 

संगीत राज – इस ग्रंथ में गीत, वाध, व नृत्य तीनों विधाओं का समावेश है. यह कुंभा का श्रेष्ठ ग्रंथ है।

सूड़ प्रबंध –  राग व ताल का अच्छा समावेश।

रसिकप्रिया – जयदेव के गीत गोविंद पर आधारित है।

कामराज रतिसार – यह ग्रंथ कुंभा के कामशास्त्र विशारद होने का परिचायक है।

अन्य प्रमुख ग्रंथ  – संगीत मीमांसा, नवीन गीत गोविंद, वाधप्रबंध, संगीत सुधा, चंडीशतक टीका

– कुंभा को अंतिम समय में उन्माद रोग हो गया था. तथा इसने अपने जीवन का अंतिम समय मामदेव जलाशय के निकट बिताया था।

– राणा कुंभा की हत्या 1468 ईस्वी में कुंभलगढ़ की कटार गढ़ के कुंभ श्याम मंदिर में इसके पुत्र उदा ने की थी. 

उदा मेवाड़ का पितृहन्ता कहलाता है. 

Q.1कुंभलगढ़ का किला किसने बनवाया था? 

महाराणा कुंभा ने

Q.2 महाराणा कुंभा की हत्या किसने की थी? 

कुंभा भाग्य पुत्र उदा 

Q.3 महाराणा कुंभा का जन्म कब हुआ था? 

1423 ई. 

Q.4 सारंगपुर का युद्ध किनके बीच में हुआ था? 

राणा कुंभा मोहम्मद खिलजी प्रथम