समायोजन की विधियां / उपाय – (Methods/Measures of Adjustment) in hindi –

समायोजन की विधियां / उपाय – (Methods/Measures of Adjustment) in hindi – 

दो प्रकार का होता है समायोजन (Adjustment) – 

1- प्रत्यक्ष उपाय 
2-अप्रत्यक्ष उपाय 
1-प्रत्यक्ष उपाय – चार प्रकार – 
A- बाधा निवारण 
B- वैकल्पिक रास्ते का चुनाव 
C- लक्ष्य का प्रतिस्थापन
D- विश्लेषण में निर्णय
2- अप्रत्यक्ष उपाय – 
अन्य नाम – मनो रचनाएं /रक्षा युक्तियां /रक्षा तंत्र / समायोजन तंत्र


1- अलगाव /विलगाव / पलायन (Isolation / Escape) – 

– इस विधि में कष्टप्रद परिस्थितियों से बचने के लिए अपने आप को छुपा लिया जाता है.
    

जैसे – a- प्रार्थना सत्र के दौरान एक छात्र का छुपे रहना.
       b- एक व्यक्ति को अपने आप को कमरे में बंद कर लेना. 


2- प्रक्षेपण/आरोपण (projection) – 

   – इस विधि केaअंतर्गत  कोई व्यक्ति अपनी विफलता का दोष किसी और पर थोपना अथवा बहाने बनाना. 
      मतलब कि झूठे बहाने बनाना. 
     उदाहरण – नाच न जाने आंगन टेढ़ा


3 – औचित्य करण – ( Rationalization) – 

 अन्य नाम – युक्तिकरण / तार्किकरण /परिमेयकरण / विवेकीकरण
  
– इस विधि में व्यक्ति अपनी विफलता को उचित ठहराने के लिए तर्क देता है.( जो तरक्की सत्य पासी तर्क होते हैं)
 उदाहरण – नींबू मीठे हैं, 
               – अंगूर तो खट्टे हैं, 
               – अपने घर की दाल रोटी दूसरों के घर के पकवान से तो बेहतर होती है, 


4 – आत्मिकरण ( Assimilation) – 

      –  इस विधि के अंतर्गत युक्ति किसी और के कारनामे अपने समझकर गौरवान्वित महसूस करता है. 
उदाहरण – जैसे कि अपने पसंदीदा खिलाड़ी द्वारा सेंचुरी बनाने पर एक छात्र द्वारा अपने दोस्तों को दावत देना. 


5 – तादात्म्य करण ( Identification) – 

– जब कोई व्यक्ति अपनी कमी तथा अपने बुराई की तोलना किसी और से करता है. (जैसे प्रसिद्ध बड़ा बेहतर लोगों से करता है) 
उदाहरण – भ्रष्ट कर्मचारी का पकड़े जाने पर एक कर्मचारी पूरी तंत्र को भ्रष्टाचारी बताता है. 


 6 – प्रतिगमन /प्रत्यावर्तन (Regression) – 

  – इसका शाब्दिक अर्थ होता है पुराने दिनों में लौटना यक्ति अपने पुराने दिनों को याद करता है. 
 उदाहरण – किशोर बालक का अपने घुटनों के बल चलना,
              – लड़की की शादी के बाद विदाई के समय उसके माता पिता व परिवार जनों द्बारा रोना, 
      -किशोर बालक द्वारा अंगूठा चूसना, 
      -बिस्तर में पेशाब करना, 


7 – शोधन ( Sublimation) – 

      अन्य नाम – परिशोधन / उदात्तीकरण /मार्गान्तिकरण
– इस युक्ति को समायोजन की सर्वोत्तम रक्षा युक्ति माना गया है.
  इसमें ना तो बहाने बनते हैं और ना ही तर्क देते हैं, 
  बल्कि जो घटना घटित होती है. उसे स्वीकार कर के मार्ग बदल लेते    हैं. 
  उदाहरण – प्रेम में असफल युवक का कवि बन जाना. 

समायोजन में अध्यापक की भूमिका – 

माता-पिता शिक्षक तथा समाज के सदस्यों का यह कर्तव्य होता है कि वह जा रे विद्यालय और समाज में ऐसी परिस्थितियों का निर्माण करें जो बालक के शिव समायोजन में सहायक हो इस दृष्टि से उपयोगी निर्देशन प्रदान करने के लिए विद्यालय की व्यवस्था प तथा शिक्षकों को निम्न बातों की ओर विशेष ध्यान केंद्रित करना जरूरी है

1.. विद्यालय के आसपास के वातावरण को दूषित नहीं होना देना चाहिए। विद्यालय परिषद स्वच्छ सुंदर और आकर्षक रहना चाहिए ऐसा प्रबंध करना आवश्यक है। साथ ही साथ विद्यालय के निकट गंदगी आदत वाले बाहरी तत्व जैसे कूड़े बदमाश खोपचे वालों को जमघट लगाने से रोकना चाहिए। विद्यालय के आसपास शराब खाना, जुए का अड्डा आदि चलाने की अनुमति नहीं देना चाहिए। तथा विद्यालय के बारी प्रांगण में स्वच्छता रखनी चाहिए, तथा बच्चों को विद्यालय में बच्चों को स्वच्छ रहना तथा विद्यालय की स्वच्छता रखना का ज्ञान देना जरूरी है। 

2. विद्यालय में अध्यापक तथा छात्रों द्वारा सहयोग में मैत्रीपूर्ण वातावरण का सृजन रखना चाहिए। 

3. पाठ्यक्रम शिक्षण विधियों पाठ्य सहगामी क्रियाओं का निर्धारण बालकों की रूचि एवं क्षमता के अनुरूप होना चाहिए। प्रत्येक बालक को किसी न किसी कार्य में भाग लेने के लिए प्रेरित और उत्साहित करना बहुत जरूरी होता है। ताकि बालक का लगन बना रहे हैं और प्रत्येक कार्य में भाग ले तथा उसका मनोबल प्रत्येक कार्य के लिए मना रहना जरूरी है।

4. यदि विद्यालय में विकलांग मंदबुद्धि तथा प्रतिभाशाली बालक हो तो उनकी शिक्षा के लिए तथा सामान्य बालकों को मुख्यधारा में लाने के लिए विशेष प्रकार के कार्यक्रमों का संचालन करना बहुत जरूरी है

5. यदि विद्यालय में निरंतर अनुपस्थित रहने वाले बालक तथा बीच में भाग जाने वाले बालकों के अभिभावकों से संपर्क स्थापित करना जरूरी है तथा उनकी अनुपस्थिति के कारणों का पता लगाना तथा उनका निवारण तुरंत करना चाहिए। 

6. विद्यालय में उच्च जीवन मूल्यों आदर्शों एवं लक्ष्यों को बच्चों के सामने प्रस्तुत करना चाहिए साथ ही साथ शिक्षकों को संविदा यह प्रयास करना चाहिए कि उनकी निजी एवं उच्च आदर्शों के अनुरूप हो।

7. विद्यालय में नैतिक, धार्मिक तथा यौन शिक्षा की उचित व्यवस्था करनी चाहिए। बालकों पर कठोर अनुशासन रखना तथा अनुचित कार्य करने पर उन्हें पर प्रताड़ित शारीरिक दंड नहीं देना चाहिए। इसके स्थान पर उनमें स्वअनुशासन के आदतों का विकास करना चाहिए तथा उन पर ऐसी कार्य जिम्मेदारी देना चाहिए। जिससे वह  स्व इच्छा से कर सकें तथा कुछ अन्य कार्य को करने का उत्तरदायित्व भी सौपना चाहिए। 

8. गरीब छात्रों को आर्थिक सहायता देना तथा विद्यालय में मिलने वाली योजनाओं का लाभ देना चाहिए तथा उनके अच्छे कार्य पर उन्हें पुरस्कार देना भी जरूरी होता है। ताकि गरीब परिवार के बच्चे मैं पढ़ने के प्रति लगन तथा उत्साह बनी रहे।  


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