राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां

 राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां

राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां –
राष्ट्रपति को आपातकाल से संबंधित तीन प्रकार की शक्तियां प्राप्त है

1. बाहरी आक्रमण एवं सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में लागू किया जा सकता है.
2 – 44 वें सविधान संशोधन के द्वारा प्रावधान कर दिया गया था कि आपातकाल की स्थिति  मंत्रिमंडल के लिखित परामर्श पर ही राष्ट्रपति द्वारा की जा सकती है. 
3 – साथ ही यह व्यवस्था दी गई है कि आपातकाल की उद्घोषणा के 1 महीने के भीतर ही संसद के दोनों सदनों लोकसभा तथा राज्यसभा भंग रहती है. तो राज्य सभा द्वारा 1 महीने के भीतर उसका अनुमोदन हो जाना चाहिए.

राष्ट्रीय आपात अनुच्छेद 352 –


अनुच्छेद 352 से राष्ट्रीय आपात पूरे देश या देश के किसी भी भाग में लगाया जा सकता है.
 संसद साधारण बहुमत से आपातकाल समाप्त कर सकती है. 
अनुच्छेद 352 के तहत तीन बार आपातकाल लागू हुआ – 


🅐 अक्टूबर  1962 से 10 जनवरी 1968 तक
 चीन आक्रमण के समय 
राष्ट्रपति – राधा कृष्ण 
प्रधानमंत्री – जवाहरलाल नेहरू 🅑 दिसंबर 1971
 पाकिस्तान आक्रमण 
राष्ट्रपति – वीवी गिरी 
प्रधानमंत्री – इंदिरा गांधी 🅒 जून 1975 से 27 मार्च 1977 तक
 आंतरिक अशांति 
राष्ट्रपति – फखरुद्दीन अहमद 
प्रधानमंत्री – इंदिरा गांधी

अनुच्छेद 356 – 


अनुच्छेद 356 के तहत राज्य में आपातकाल लगाया जा सकता है राज्य का शासन संविधान के अनुरूप नहीं चल रहा हो तो राज्यपाल की सिफारिश या राष्ट्रपति के अनुभव के आधार पर राज्य में आपातकाल लागू किया जा सकता है. 
अनुच्छेद 356 के आपातकाल को संसद द्वारा 2 माह में साधारण बहुमत से स्वीकृति देनी होगी. 
राज्य में आपातकाल 6 माह तक लागू रहता है. 
अधिकतम 3 वर्ष तक लागू रह सकता है.
राजस्थान में 4 बार आपातकाल अनुच्छेद 356 के तहत हुआ – 

🅐1967 मुख्यमंत्री – मोहनलाल सुखाड़िया 


🅑1977 मुख्यमंत्री – भैरों सिंह शेखावत
🅒1980 मुख्यमंत्री – हरिदेव जोशी
🅓1992 मुख्यमंत्री – भैरों सिंह शेखावत

अनुच्छेद 360  – 


वित्तीय आपातकाल
वित्तीय आपातकाल की अधिकतम अवधि निश्चित नहीं है. 
वित्तीय आपातकाल को आगे बढ़ाने के लिए बार-बार स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती है. वित्तीय आपातकाल लागू होने पर 2 माह के भीतर स्वीकृति होना आवश्यक है. 
वित्तीय आपात की स्थिति में संघ तथा राज्य सरकारों के पदाधिकारियों न्यायाधीश सहित का वेतन तथा भत्त घटाया जा सकता है. 
वित्तीय आपात में राज्य विधान मंडलों द्वारा पारित सभी धन विधेयक को राष्ट्रपति की अनुमति लेना आवश्यक हैै.
 भारत में संविधान लागू होने से लेकर आज तक वित्तीय आपात की घोषणा की आवश्यकता नहीं पड़ी है मतलब यह आज तक लागूू नहीं हुआ.

1 – युद्ध बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह से उत्पन्न परिस्थिति में राष्ट्रपति आपात की उद्घोषणा कर सकता है. 

बाहरी आक्रमण एवं सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में लागू किया जा सकता है. 42 वें संविधान संशोधन 1978 में राष्ट्रपति 352 के तहत आपातकाल मंत्रिमंडल की लिखित सिफारिश पर लागू करेगा. आंतरिक अशांति की जगह सशस्त्र विद्रोह शब्द जोड़ा गया संसद द्वारा आपातकाल की स्वीकृति 1 माह के भीतर होना आवश्यक है. हर छह माह बाद संसद की स्वीकृति आवश्यक है. अनुच्छेद 352 में आपातकाल अनिश्चित समय तक लागू रखा जा सकता है. 

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