कार्बन के क्रिस्टलीय अपरूप(crystalline amorphous of carbon) हीरा, ग्रेनाइट, फुलरीन

 कार्बन के क्रिस्टलीय अपरूप(crystalline amorphous of carbon) हीरा, ग्रेनाइट, फुलरीन-

कार्बन के क्रिस्टलीय अपरूप(crystalline allotropes of carbon) हीरा, ग्रेनाइट, फुलरीन –
अपरूप(amorphous) – एक ही सिक्के के दो या दो से अधिक योग्य जिनका रासायनिक संगठन सलमान खान के भौतिक गुण दिन होते हैं उपरोक्त कहलाते हैं कार्बन के  तीन क्रिस्टलीय अपरूप है 
हीरा, ग्रेफाइट, फुलरीन

1-हीरा – 

यह कार्बन का कठोरतम अपरूप  होता है. 
इसका गलनांक अत्यधिक उच्च होता है. हीरे में कार्बन sp3 संकरण तथा चतुर्थफलकिए ज्यामितीय में होता है. 
कार्बन – कार्बन बंध लंबाई 1.54A° तथा बंध कोण 109°28′
हीरा विद्युत धारा का कुचालक होता है. 
इसका उपयोग काँच काटने में किया जाता है. हीरे की संरचना में कार्बन आपस में जुड़ अनंत त्रिविम जाल का निर्माण करते हैं.

2. ग्रेनाइट-

 यह कार्बन का म्रृदु तथा सबसे स्थाई अपरूप होता है. इसकी संरचना परतदार होती है. तथा एक परत दूसरी परत पर आसानी से फिसल जाती है. इसलिए इसका उपयोग शुल्क के रूप में किया जाता है. ग्रेफाइट में परतों के मध्य दूरी 3.4A°( अंगस्ट्रोम) होती है. 
इसमें कार्बन का संकरण sp2 होता है. बंध लंबाई 1.42A° कोण 120 डिग्री होता है.
उपयोग – लेड पेंसिल नाभिकीय संयंत्रों में नियंत्रक छोड़ो के रूप में शुष्क स्नेह के रूप में तथा इलेक्ट्रोड के रूप में किया जाता है.

फुलरीन(fullerene) –

 इसे बक मिनिस्टर फुलरीन या बकीबॉल भी कहते हैं. इसका सबसे स्थाई रूप C60( कार्बन 60) होता है C60 में 32 फलक होते हैं जिसमें 32 फलको में से 20 फलक षट्कोणीय 12 फलक पंच कोणीय इसमें कार्बन का संकरण sp2 होता है .
बंध लंबाई 1.40A°
उपयोग – आणविक बेरिंग बनाने, अक्रिय माध्य बनाने, अतिचालक होने के कारण विद्युत उपकरणों में किया जाता है.

कार्बन के क्रिस्टलीय अपरूप(crystalline allotropes of carbon) हीरा, ग्रेनाइट, फुलरीन